Monday, March 4, 2013

आज भारत एक युद्धस्थल सा बना  है |
विद्वेष, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी का  ताना बाना है |
उपद्रवियों और  चोरों का संघटन घना है |
लगता है के माताओं ने शैतान सा जना  है |
माना अँधेरा घना है! पर दिया जलाना कहाँ मना है?

भारत माँ का ललाट आज गंदे खून से सना है |
भाई-भाई में हर वक्त एक समशीर सा तना है |
चारों ओर भ्रस्टाचार के नाग का फना  है |
बेरोजगारी का काला बादल घना  है |
माना अँधेरा घना है! पर दिया जलाना कहाँ मना है?

थोथा चना आज बाजे घना है |
मूर्ख भी आज एक पण्डित  सा बना है |
माँ बहनों का यश आज भेडियों  का ज्योंणा है |
गंदे कृत्यों का तूफ़ान आज इस देश पर तना है |
माना अँधेरा घना है! पर दिया जलाना कहाँ मना है?

- दीपक कुमार पाण्डेय & राजकुमार सिंह सोलंकी 

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